Saturday, December 22, 2012

रमेश तैलंग : एक रिश्ता बना रखा है.
















न कोई खत, न कोई मेरा पता रखा है. 
मगर उसने अभी एक रिश्ता बना रखा है.

दोस्ती थी तो मेरा नाम नहीं लेता था,
दुश्मनी है तो मुझे दिल में बसा रखा है.

दीन दुनिया की खबर यूं नहीं मुझे कुछ भी,
पर तेरे होने का एहसास बचा रखा है.

जानता तो हूं मगर उससे कभी पूछा नहीं,
क्यों मेरा नाम कलाई पे गुदा रखा है. 

मैंने यह सोच के हर चीज वहीं रहने दी,
वो कल न पूछ ले, आईना कहां रखा है.

यूं तो रोमानी हुए हमको ज़माना गुज़रा,
फिर भी एक बादल आंखों में छुपा रखा है.

- रमेश तैलंग

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