इस तरह आँखों में उसकी देखता रहता हूँ मै।
जैसे फुर्सत में फ़लक को ताकता रहता हूँ मै।।
अपनी गलती का मुझे एहसास रत्ती भर नहीं।
दूसरों में ऐब लेकिन ढूंढता रहता हूँ मै।।
इस तरह क्या वो भी मुझको याद करता है कभी।
जिस तरह उसके हक में सोचता रहता हूँ ।।
फहीम क़रार
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