Friday, February 10, 2023

मुझे अपनी कोई ख़बर न हो, तुझे अपना कोई पता न हो: बशीर बद्र

बशीर बद्र 


कभी यूँ मिलें कोई मसलेहत, कोई ख़ौफ़ दिल में ज़रा न हो

मुझे अपनी कोई ख़बर न हो, तुझे अपना कोई पता न हो
कभी हम भी जिस के क़रीब थे, दिलो-जाँ से बढ़कर अज़ीज़ थे
मगर आज ऐसे मिला है वो, कभी पहले जैसे मिला न हो
बशीर बद्र






Sunday, February 5, 2023

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं : फ़हमी बदायूनी

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं

कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं

घर के मलबे से घर बना ही नहीं

ज़लज़ले का असर गया ही नहीं

मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनिया

मैं तिरी राह से हटा ही नहीं

कल से मसरूफ़-ए-ख़ैरियत मैं हूँ

शेर ताज़ा कोई हुआ ही नहीं

रात भी हम ने ही सदारत की

बज़्म में और कोई था ही नहीं

यार तुम को कहाँ कहाँ ढूँडा

जाओ तुम से मैं बोलता ही नहीं

याद है जो उसी को याद करो

हिज्र की दूसरी दवा ही नहीं