سحر... ایک نئے سفر کا آغاز
Sunday, December 16, 2012
ख्वाब आँखों को नए रोज़ दिखाते रहना
ख्वाब आँखों को नए रोज़ दिखाते रहना
तुम बिछड़ के भी मेरा साथ निभाते रहना
रौशनी चाहिए जिसको वो खुद ही आ जायेगा
अपना मकसद है चिरागों को जलाते रहना
फहीम क़रार
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