हमेशा प्यार से उनको गले लगाना तुम।
कभी गरीब का हरगिज़ न दिल दुखाना तुम।।
अभी तो सोए हैं थककर ख्याल के पंछी।
न मेरे जहन की टहनी अभी हिलाना तुम।।
अजीब बात है शीशे के घर यह कहते हैं।
लगाओ ठीक से हम पर कोई निशाना तुम।।
उन्हीं के दर 'प' हमे पूछता नहीं कोई।
जो हमसे कहते थे मुश्किल पड़े तो आना तुम।।
मिरे मज़ार से अपने चिराग़ ले जाओ।
किसी गरीब के घर में इन्हें जलाना तुम।।
फहीम क़रार
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