Tuesday, February 5, 2013

आशीष दीक्षित : तुम मोहब्बत को छुपाती क्यूं हो













तुम मोहब्बत को छुपाती क्यूं हो

दिल भी है दिल में तमन्ना भी है
कुछ जवानी का तकाज़ा भी है
तुम को अपने पे भरोसा भी है
झेंप कर आंख मिलाती क्यूं हो
तुम मोह्ब्बत को छुपाती क्यूं हो

ज़ुल्म तुम ने कोई ढाया तो नही
किसी को बेवजह सताया तो नही
खून गरीबों का बहाया तो नही
यूं पसीने में नहाती क्यूं हो
तुम मोहब्बत को छुपाती क्यूं हो

पर्दा है दाग छुपाने के लिये
शर्म है झूठ पे छाने के लिये
इश्क इक गीत है गुनगुनाने के लिये
इस को होंठों में दबाती क्यूं हो

तुम मोहब्बत को छुपाती क्यूं हो

आशीष दीक्षित 
  

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