Monday, December 17, 2012

सुशील कुमार : एक वक़्त हुआ करता था













वो भी एक वक़्त हुआ करता था

तुम कलाई की घडी से अक्सर
सूरज का सिक्का मेरी आँखों पे चमकाती थीं 

आज एक उम्र के बाद
फिर वही सूरज का सिक्का डाला 
फिर उसी चौक के टेलीफोन पर जाकर
तुम्हारे पुराने नंबर को घुमाया मैंने .....

सुशील कुमार शुक्ला

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