सुशील कुमार : एक वक़्त हुआ करता था
वो भी एक वक़्त हुआ करता थातुम कलाई की घडी से अक्सरसूरज का सिक्का मेरी आँखों पे चमकाती थीं आज एक उम्र के बादफिर वही सूरज का सिक्का डाला फिर उसी चौक के टेलीफोन पर जाकरतुम्हारे पुराने नंबर को घुमाया मैंने .....
सुशील कुमार शुक्ला
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