Friday, September 13, 2024

उल्लासों के द्वार चाहिए: फहीम क़रार

उल्लासों के द्वार चाहिए


उल्लासों के द्वार चाहिए। 

सावन के मल्हार चाहिए।।

नहीं चाहिए मुझे किनारा

नहीं चाहिए मुझे सहारा 

डूब सके जिसमें मन मेरा 

प्रेम की वह मझधार चाहिए

सावन के मल्हार चाहिए। 

अर्जित धन, वैभव तुम ले लो 

जीवन के गौरव तुम ले लो 

जहां खिले हों  पुष्प शांति के 

मुझको वह संसार चाहिए।।

उल्लासों के द्वार चाहिए।।


इंद्रधनुष को रंगों वाले 

नीलकंठ से पंखों वाले

विरह अग्नि से पीड़ित मन को 

सपनों का आधार चाहिए 

उल्लासों के द्वारा चाहिए...


मृत चिंतन को जीवन दे दे। 

मरु हृदय को सावन दे दे।।

चट्टानों में स्रोत खोल दे 

कुछ ऐसा व्यवहार चाहिए।।

उल्लासों के द्वार चाहिए।


'फहीम क़रार'