Thursday, August 10, 2017

ऐसा लगता है इबादत को चले आते हैं : siya

जब भी हम तेरी ज़ियारत को चले आते हैं
ऐसा लगता है इबादत को चले आते हैं
बस दिखावे की मुहब्बत को चले आते हैं
लोग रस्मन भी अयादत को चले आते हैं
देखकर आपको इस दिल को क़रार आ जाए
अपनी आँखों की ज़रुरत को चले आते हैं
जब भी घबराने सी लगती है तबीयत अपनी
ऐ ग़ज़ल हम तिरी ख़िदमत को चले आते हैं।
हम फकीराना तबियत हैं हमें क्या लेना
लोग बेवज्हा सियासत को चले आते हैं।

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